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जस्टिस

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अपराईट भविष्य कथन का महत्व ।

समानता, धार्मिकता, गुण, सम्मान, सद्भाव, संतुलन, न्याय, निष्पक्षता, सत्य, कारण और प्रभाव, कानून

शनी महाराज ! ओहोहो, शनी महाराज से सभी डरते हैं। जब कोई इनको नडता है तो उसे वो तोड देते हैं। अगर इनके सामने किसी ने चालाकी की तो उसे ये इस प्रकार नडेंगे की सभी ग्रह इनके सामने निष्प्रभ हो जाएंगे। आपके अंदर भी वही गुण है। आप के पास समानता, धार्मिकता के सभी गुण है। आप हर एक व्यक्ति का सम्मान करते हैं।

यह कार्ड एक 'न्यूट्रल' निष्पक्ष कार्ड है।

जिसके कारण आपको भी समाज में इज्जत मिलती है। आप के पास एव विशेष सद्भाव होने के कारण आपके व्यक्तिमत्व में विचारों में अत्यंत संतुलन दिखाई देता है। आपका स्वभाव हमेशा न्याय और निष्पक्षता के साथ रहा है। आपको झूठ जरा भी बरदाश्त नही होता । चाहे कितना भी कडवा हो आप हमेशा सत्य ही सुनना पसन्द करते हैं। सत्य की राह पर हमेशा चलने का कारण और प्रभाव आप स्वयं जानते हैं। कानून की कोई किताब आपको झुका नहीं सकती अगर कानून का उपयोग आपको झुठलाने के लिए हो रहा है। शनी महाराज आपका सदैव रक्षण करेंगे।

रिवर्स भविष्य कथन

झूठे आरोप, अनुचितता, दुर्व्यवहार, पूर्वाग्रह, अनुचितता, जवाबदेही की कमी, बेईमानी

जीवन के इस मोड पर आपकी परिक्षा ली जा सकती है। आप पर झूठे आरोप किए जा सकते हैं। आपका समय इस वक्त खराब चल रहा है इसलिए अनुचितता का सामना करना पडता है।लोगों के दुर्व्यवहार एवं पूर्वाग्रह से आप परेशान हो सकते हैं। लेकिन किसी भी हाल में सत्य का पक्ष छोडना नहीं है। लोगों के मन में इस वक्त जवाबदेही की कमी आएगी। आपको किस झाड की पत्ती समझा जाएगा। बेईमानी की चरम सीमा देखने के लिए मिलेगी। हर एक रिश्ता, 'रिलेशनशिप' खतरे में आएगी। लेकिन अंतिम सत्य सामने वाले को जल्द ही समझ में आएगा। और रिश्ते में नई शुरुआत होगी। आपको जस्टिस मिलेगा।

जस्टिस

जस्टिस कार्ड टिपिकल ग्रीक कार्ड है। कपड़े की शैली, मुकुट, तलवार, सिंघासन सहित सब कुछ ग्रीक है। आदमी अपने बाएं हाथ में तराजु पकड़े हुए है। ग्रीक सिंघासन बिना किसी प्रतीक या डिजाइन के पत्थरों से बने हैं।

भारतीय सिंघासन हमेशा सोने और बहुमूल्य पत्थरों से बने हुए होते हैं जिन पर सुंदर मूर्तियां भी होती हैं।

जस्टिस कार्ड को प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड के अनुसार शनि देव के नाम से जाना जाता है।

शनि को न्याय का देवता माना जाता है। इस जीवन में फल मिलेगा या तो दंड मिलेगा। दोनो शनिदेव का दर्शन है।

हर भारतीय शनि देव से डरता है और उनका सम्मान करता है।

(आगे का वर्णन ।)

धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ, जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसने अपने खाने पिने तक शुध नहीं थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया !शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हैं ! तभी से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखते थे !

शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की। शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित किया गया हैं ! अतः माता की इच्छा हैं कि मेरा पुत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने ! तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा ! मानव तो क्या देवता भी तुम्हरे नाम से भयभीत रहेंगे !

ब्रह्मवैवर्त पुराण में शनि ने जगत जननी पार्वती को बताया है कि मैं सौ जन्मो तक जातक की करनी का फ़ल भुगतान करता हूँ.एक बार जब विष्णुप्रिया लक्ष्मी ने शनि से पूंछा कि तुम क्यों जातकों को धन हानि करते हो, क्यों सभी तुम्हारे प्रभाव से प्रताडित रहते हैं, तो शनि महाराज ने उत्तर दिया,"मातेश्वरी, उसमे मेरा कोई दोष नही है, परमपिता परमात्मा ने मुझे तीनो लोकों का न्यायाधीश नियुक्त किया हुआ है, इसलिये जो भी तीनो लोकों के अंदर अन्याय करता है, उसे दंड देना मेरा काम है".एक आख्यान और मिलता है, कि किस प्रकार से ऋषि अगस्त ने जब शनि देव से प्रार्थना की थी, तो उन्होने राक्षसों से उनको मुक्ति दिलवाई थी। जिस किसी ने भी अन्याय किया, उनको ही उन्होने दंड दिया, चाहे वह भगवान शिव की अर्धांगिनी सती रही हों,

जिन्होने सीता का रूप रखने के बाद बाबा भोले नाथ से झूठ बोलकर अपनी सफ़ाई दी और परिणाम में उनको अपने ही पिता की यज्ञ में हवन कुंड मे जल कर मरने के लिये शनि देव ने विवश कर दिया, अथवा राजा हरिश्चन्द्र रहे हों, जिनके दान देने के अभिमान के कारण सप्तनीक बाजार मे बिकना पडा और,श्मशान की रखवाली तक करनी पडी, या राजा नल और दमयन्ती को ही ले लीजिये, जिनके तुच्छ पापों की सजा के लिये उन्हे दर दर का होकर भटकना पडा, और भूनी हुई मछलियां तक पानी मै तैर कर भाग गईं, फ़िर साधारण मनुष्य के द्वारा जो भी मनसा, वाचा, कर्मणा, पाप कर दिया जाता है वह चाहे जाने मे किया जाय या अन्जाने में, उसे भुगतना तो पडेगा ही.

फ़लित ज्योतिष के शास्त्रो में शनि

प्रथम भाव मे शनि जिसके प्रथम भाव मे शनि होता है, उसका जीवन साथी जोर जोर से बोलना चालू कर देता है, प्रथम भाव का शनि सुनने के अन्दर कमी कर देता है, और सामने वाले को जोर से बोलने पर ही या तो सुनायी देता है, या वह कुछ का कुछ समझ लेता है, इसी लिये मानसिक ना समझी का परिणाम सम्बन्धों मे कडुवाहट घुल जाती है, और सम्बन्ध टूट जाते हैं। दूसरा भाव भौतिक धन का भाव है अपने ही परिवार वालों से लडाई झगडा आदि करवा कर अपने को अपने ही परिवार से दूर कर देते हैं,धन के मामले मै पता नही चलता है कितना आया और कितना खर्च किया, तीसरा भाव शनि आहत करता है। मकान और आराम करने वाले स्थानो के प्रति यह शनि अपनी अन्धेरे वाली नीति को प्रतिपादित करता है।ननिहाल खानदान को यह शनि प्रताडित करता है।

चौथे भाव का मुख्य प्रभाव व्यक्ति के लिये काफ़ी कष्ट देने वाला होता है, माता, मन, मकान, और पानी वाले साधन, तथा शरीर का पानी इस शनि के प्रभाव से गंदला जाता है। पंचम भाव का शनि संतान मे शनि की सिफ़्त स्त्री होने और ठंडी होने के कारण से संतति मे विलंब होता है,कन्या संतान की अधिकता होती है, अधिक तर अपने जीवन के प्रति उदासीन ही रहता है।षष्ठ भाव में शनि दैहिक दैविक और भौतिक रोगों का दाता बन जाता है, मामा खानदान को समाप्त करने वाला होता है,चाचा खान्दान से कभी बनती नही है।

सप्तम भाव मे शनि पिता और पुत्र अनबन बनी रहती है। अपनी माता या महिला के मन मे विरोध भी पैदा करता रहता है, उसे लगता है कि जो भे उसके प्रति किया जा रहा है, वह गलत ही किया जा रहा है

अष्टम भाव में शनि खाने पीने और मौज मस्ती करने के आवारागीरी चक्कर में जेब हमेशा खाली रखता है।नवम भाव का शनि कठिन और दुख दायी यात्रायें कराएगा, लगातार घूम कर सेल्स आदि के कामो मे काफ़ी परेशानी करनी पडती है।

दसवे भाव में शनि कठिन कामो की तरफ़ मन ले जाता है, मजदूरी करवाता है।

ग्यारह वे भाव में शनि दोस्तों से हमेशा चालकियां ही मिलती है, बडा भाई या बहिन के प्रति व्यक्ति का रुझान कम ही होता है।बारह वे भाव में शनि जातक को धन के लिये भटकाएगा, कर्जा दुश्मनी बीमारियो से उसे नफ़रत तो होती है मगर उसके जीवन साथी के द्वारा इस प्रकार के कार्य कर दिये जाते हैं जिनसे जातक को इन सब बातों के अन्दर जाना ही पडता है।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

द स्टार

द मून

द सन

जजमेंट

द वर्ल्ड

एस ऑफ कप्स

टू ऑफ कप्स

थ्री ऑफ कप्स

फोर ऑफ कप्स

फाइव ऑफ कप्स

सिक्स ऑफ कप्स

सेवन ऑफ कप्स

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पेज ऑफ कप्स

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एस ओफ स्वोर्ड्स

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एस ऑफ पेंटाकल्स

टू ऑफ पेंटाकल्स

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